About Shiv Chalisa

कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा । तन नहीं ताके रहे कलेशा ॥

अर्थ- हे नीलकंठ आपकी पूजा करके ही भगवान श्री रामचंद्र लंका को जीत कर उसे विभीषण को सौंपने में कामयाब हुए। इतना ही नहीं जब श्री राम मां शक्ति की पूजा कर रहे थे और सेवा में कमल अर्पण कर रहे थे, तो आपके ईशारे पर ही देवी ने उनकी परीक्षा लेते हुए एक कमल को छुपा लिया।

महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।

जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥

जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥

लिङ्गाष्टकम्

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।

अर्थ: हे अनंत एवं नष्ट न होने वाले अविनाशी भगवान भोलेनाथ, सब पर कृपा करने वाले, सबके घट में वास करने वाले शिव शंभू, आपकी जय हो। हे प्रभु काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंहकार जैसे तमाम दुष्ट मुझे सताते रहते हैं। इन्होंनें मुझे check here भ्रम में डाल दिया है, जिससे मुझे शांति नहीं मिल पाती। हे स्वामी, इस विनाशकारी स्थिति से मुझे उभार लो यही उचित अवसर। अर्थात जब मैं इस समय आपकी शरण में हूं, मुझे अपनी भक्ति में लीन कर मुझे मोहमाया से मुक्ति दिलाओ, सांसारिक कष्टों से उभारों। अपने त्रिशुल से इन तमाम दुष्टों का नाश कर दो। हे भोलेनाथ, आकर मुझे इन कष्टों से मुक्ति दिलाओ।

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प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे । ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

Lord, in the event the ocean was churned along with the lethal poison emerged, out of your respective deep compassion for all, You drank the poison and saved the entire world from destruction. Your throat grew to become blue, Consequently That you are known as Nilakantha.

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